आसन : आसन शरीर तथा मन को स्वस्थ रखने के लिए महर्षि पतंजलि ने आसनो का उल्लेख किया है। योग में आसनो का विशेष महत्व है। शरीर के विभिन अंगो पर नियंत्रण रखते हुए। उन्हें विशिष्ट स्थिति में बनाये रखने को आसन कहते हैं।


आसन के प्रकार

ग्रन्थ संहिताओं में 84 प्रकार के आसनो का उल्लेख किया है। आसनो को तीन भागों में बांटा गया है।

1.ध्यान के आसन।

2.चिकित्सा के आसन।

3.व्यायाम के आसन।


1.ध्यान के आसन: सुखासन, स्वस्तिकासन, पद्मासन।

2. व्यायाम के आसन : ताड़ासन, उत्तानपाद आसन, पवनमुक्तासन, आदि।

3.चिकित्साकेआसन:चक्रासन,सर्वागासन,हलासन। ये आसन कही न कही चिकित्सा के लिये प्रयोग में लाये जाते हैं।

आसनो से मिलने वाले  लाभ।

योगासनों का सबसे बड़ा गुण यह हैं कि वे सहज सरल हैं। योगासन ऐसी व्यायाम पद्धति है जिसमें न तो  व्यय होता है और न इतनी साधन-सामग्री की आवश्यकता होती है।

1. योगासनों द्वारा पेट की भली-भांति सुचारु रूप से सफाई होती है और पाचन अंग पुष्ट होते हैं। पाचन-संस्थान में गड़बड़ियां उत्पन्न नहीं होतीं।

2. आसनों में जहां मांसपेशियों को तानने, सिकोड़ने और ऐंठने वाली क्रियायें करनी पड़ती हैं, वहीं दूसरी ओर साथ-साथ तनाव-खिंचाव दूर करनेवाली क्रियायें भी होती रहती हैं, जिससे शरीर की थकान मिट जाती है और आसनों से  शक्तिमिल जाती है।

 3.शरीर और मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति की पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से भी योगासनों का अपना अलग महत्त्व है।

4.योगासनों से भीतरी ग्रंथियां अपना काम अच्छी तरह कर सकती हैं और युवावस्था बनाए रखने एवं वीर्य बर्धक में सहायक होती है।

5. योगासन अमीर-गरीब, बूढ़े-जवान, सबल-निर्बल सभी स्त्री-पुरुष कर सकते हैं।

 6.योगासन मेरुदण्ड-रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हैं और व्यय हुई नाड़ी शक्ति की पूर्ति करते हैं।

7. योगासन पेशियों को शक्ति प्रदान करते हैं। इससे मोटापा घटता है और दुर्बल-पतला व्यक्ति तंदरुस्त होता है।

8. योगासन स्त्रियों की शरीर रचना के लिए विशेष अनुकूल हैं। वे उनमें सुन्दरता, सम्यक-विकास,  और गति, सौन्दर्य आदि के गुण उत्पन्न करते हैं।

9.योगासनों से बुद्धि की वृद्धि होती है और धारणा शक्ति को नई स्फूर्ति एवं ताजगी मिलती है। ऊपर उठने वाली प्रवृत्तियां जागृत होती हैं और आत्मा-सुधार के प्रयत्न बढ़ जाते हैं।

10. योगासन स्त्रियों और पुरुषों को संयमी एवं आहार-विहार में मध्यम मार्ग का अनुकरण करने वाला बनाते हैं, अत: मन और शरीर को स्थाई तथा सम्पूर्ण स्वास्थ्य, मिलता है।

11. योगासन श्वास- क्रिया का नियमन करते हैं, हृदय और फेफड़ों को बल देते हैं, रक्त को शुद्ध करते हैं और मन में स्थिरता पैदा कर संकल्प शक्ति को बढ़ाते हैं।

12. योगासन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वरदान स्वरूप हैं क्योंकि इनमें शरीर के समस्त भागों पर प्रभाव पड़ता है और वह अपने कार्य सुचारु रूप से करते हैं।

13 आसन रोग विकारों को नष्ट करते हैं, रोगों से रक्षा करते हैं, शरीर को निरोग, स्वस्थ एवं बलिष्ठ बनाए रखते हैं।

14.आसनों से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। आसनों का निरन्तर अभ्यास करने वाले को चश्में की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।

15. योगासन से शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता है, जिससे शरीर पुष्ट, स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनता है। आसन शरीर के पांच मुख्यांगों, स्नायु तंत्र, रक्ताभिगमन तंत्र, श्वासोच्छवास तंत्र की क्रियाओं का व्यवस्थित रूप से संचालन करते हैं जिससे शरीर पूर्णत: स्वस्थ बना रहता है और कोई रोग नहीं होने पाता। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक सभी क्षेत्रों के विकास में आसनों का अधिकार है। अन्य व्यायाम पद्धतियां केवल वाह्य शरीर को ही प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं, जब कि योगसन मानव का चहुँमुखी विकास करते हैं।

नोट :आसन निम्न प्रकार के होते हैं। जो इस प्रकार से है।


पद्मासन मुद्रासन सिद्धासन स्वस्तिकासन
बज्रासन शीर्षासन सर्वागासन मत्स्यासन
उत्तानपादासन सेतुकासन चक्रासन सुप्तवज्रासन
हलासन कर्णपीडासन पवनमुक्तासन शवासन
धनुरासन शलभासन मयूरासन भुजंगासन
वृश्चिकासन गरुड़ासन वृक्षासन कोणासन
गोमुखासन पश्चिमोत्तानासन अर्धमत्स्येंद्रासन उष्ट्रासन
मुक्तासन मंडूकासन कच्छपासन बकासन
गर्भासन गोरक्षासन वीरासन तोलासन
पक्षीआसन जानुशीर्षासन अकर्णधनुरासन मत्स्येन्द्रासन
सिहासन योगमुद्रासन   मृगासन गुप्तासन
पर्वतासन नौकासन मकरासन मुक्तासन
वृषसन संकटासन नटवरासन योगेंद्रसन
हंसासन मर्कटासन बातासन पादहस्तासन
दिपादस्कंधासन एकपादस्कंधासन पादसिरासन
चिकटासन
त्रिकोणासन लतासन  
उत्कटासन    
शुतुरमुर्गासन

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