टिहरी बांध 

                     

Hello दोस्तों यू तो आप टिहरी गढ़वाल के बारे में तो जानते ही होंगे जो उत्तराखण्ड राज्य का एक जिला है। घने पर्वतों के बीच स्थित यह स्थान बहुत ही सुंदर मनमोहक  है। यहाँ पर घूमने के लिए लोग देश विदेशों से आते हैं। यह स्थान धार्मिक स्थल के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। यहाँ आप चम्बा, बुदा केदार मंदिर, कैम्पटी फॉल, टिहरी बांध आदि स्थानों में घूम सकते हैं। यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती लोगो को अपनी ओर खींचती है। आप तो जानते है कि टिहरी का इतिहास बहुत बड़ा है। आइये पहले इसके बारे में जानते हैं। सन्‌ 888 से पूर्व सारा गढ़वाल क्षेत्र छोटे-छोटे ‘गढ़ों’ में विभाजित था, जिनमें अलग-अलग राजा राज्‍य करते थे। कहानी शुरू होती है। राजा कनकपाल एक बार बद्रीनाथ के दर्शन करने के लिए गए जहाँ उनकी मुलाकात पराक्रमी राजा भानु प्रताप से मिले। राजा भानु प्रताप उनसे काफी प्रभावित हुए और अपनी इकलौती बेटी का विवाह कनकपाल से करवा दिया साथ ही अपना राज्‍य भी उन्‍हें दे दिया। धीरे-धीरे कनकपाल और उनकी आने वाली पीढ़ियाँ एक-एक कर सारे गढ़ जीत कर अपना राज्‍य बढ़ाती गयीं। इस तरह से सन्‌ 1803 तक सारा (918 सालों में) गढ़वाल क्षेत्र इनके कब्‍जे में आ गया।ओर बहुत बड़ा बन गया।


गढ़वाल को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला दिया और पश्‍चिम गढ़वाल राजा सुदर्शन शाह को दे दिया जिसे तब टेहरी रियासत के नाम से जाना गया।राजा सुदर्शन शाह ने अपनी राजधानी टिहरी या टेहरी शहर को बनाया, बाद में उनके उत्तराधिकारी प्रताप शाह, कीर्ति शाह और नरेन्‍द्र शाह ने इस राज्‍य की राजधानी क्रमशः प्रताप नगर, कीर्ति नगर और नरेन्‍द्र नगर स्‍थापित की।

इस तरह सन्‌ 1949 में टिहरी राज्‍य को उत्तर प्रदेश में मिलाकर इसी नाम का एक जिला बना दिया गया। बाद में 24 फरवी 1960 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इसकी एक तहसील को अलग कर उत्तरकाशी नाम का एक ओर जिला बना दिया। आज टिहरी में भारत का सबसे ऊंचा बांध बना हुआ है। और दुनिया का आठवे नम्बर का यह टिहरी बाँध भारत का सबसे ऊँचा तथा विशालकाय बाँध है। यह भागीरथी नदी पर 260.5 मीटर की उँचाई पर बना है। टिहरी बांध दुनिया का आठवाँ सबसे बड़ा बाँध है, जिसका उपयोग सिंचाई तथा बिजली पैदा करने हेतु किया जाता है। इस बाँध से 2400 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जाता है।इसका निमार्ण कार्य की शुरुआत सन1978 में शुरू हुआ। टिहरी बांध भागीरथी नदी पर बना हुआ है।इसका निर्माण का कार्य 2006 में पूरा हो गया था।

यह भागीरथी नदी पर 260.5 मीटर की उँचाई पर बना है।टिहरी बांध में सामान्यत 820 मीटर ऊंचाई तक पानी रहता है। बांध से विद्युत उत्पादन के अलावा सिंचाई और पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था भी उत्तराखंड, यूपी, हरियाणा, दिल्ली और पंजाब राज्यों में की जा रही है।


इस परियोजना का सुंदरलाल बहुगुणा तथा अनेक पर्यावरणविदों ने कई आधारों पर विरोध किया है।जब ये बांध बना था। तो लोगो को बहुत भारी नुकसान हुआ था। इस बांध में पूरा पुरानी टिहरी शहर जल मग्न हो गया था।जो आज भी लोगो के आखो में वो मंज़र दिखाई देता है। टिहरी बांध बनाने से राज्य को फायदा भी हुआ तो नुकसान भी कही ज्यादा हुआ।आज टिहरी बांध पर्यटकों का मन मोह लेता है। आज नये टिहरी वालो को और उत्तराखंड को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी और बिजली मिल रही है। यहाँ तक की अन्य राज्यों को भी फायदा मिलता है।

टिहरी झील में जेट स्कीइंग से हॉट एयर बैलून सवारी तक कई अलग-अलग और विविध गतिविधियां शामिल हैं।टिहरी झील पर जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून के ग्रीष्मकालीन महीनों में है।



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